जिन्दगी भी एक अजीब सी पहेली है
कभी भीड मे, कभी बिलकुल अकेली है
कभी दो मुठ्ठी सितारो की झिलमिलाती रात
हर तरफ रोशनी और खुशीयो की सौगात
फिर वही सितारे, रात की मुठ्ठी से फिसलते हुऐ
स्याह और गहरी, समय की खाँयी मे गिरते हुऐ
पीछे छोड जाते है यादे, उस झिलमिलाती रातो की
और उन यादो के साथ, कुछ सिमटी हुई उम्मीँदे
उम्मीँदे कि फिर से वो सितारे हाथ मे आयेंगे
एक दिन तो फिर से खुशीयो की रोशनी पायेंगे
खुशीयो का स्वभाव भी निराला है,
उलसा सा उसे, सुलझाने मे
हर एक जगवाला है
हर क्षण खुशीयो को कारण से सम्बध कर
खुशीयो के प्रकार और आकार के निबन्ध कर
हर क्षण जीवन मे खुशीयो का प्रबन्ध करना चाहता है