तन्हा-तन्हा इस दुनिया मे मन ये मेरा घुमे
हर दिन, हर पल, हर मौसम मे, तुझको ही ये ढूँढे
किसी फूल की तुम खुशबू मे, मिल जाओगे शायद
बस इसी आस मे मन ये मेरा तन्हा-तन्हा घुमे
तुम कौन हो, कैसी हो, क्या जानता है मन मेरा तुमको
या यूँ ही निरंतर ढूँढ रहा एक अनजाने चेहरे को
बस यही सोच कर एक शाम तस्वीर बना कर तेरी
तस्वीर के ही, उन सभी रंगो मे मन मेरा तुझको ढूँढे
कि किसी रंग के, किसी रंग से मिलने पर तुम मिल जाओ
बस इसी आस मे मन ये मेरा तन्हा-तन्हा घुमे
हर दिन, हर पल, हर मौसम मे, तुझको ही ये ढूँढे