एक बूँद, डगमगाती, पर रुकी हुई मेरी हथेली पर
जगमगाती, झिलमिलाती, व्याकुल सी फिसलने को
कभी तो एहसास दिलाती अपनी स्थिरता का
अगले ही पल बदलती है रुप अनिश्चितता का
हर पल हथेली पर एक भीगा सा एह्सास
पर देखा जो फिर से तो सूखे थे हाथ
हर कण मे पानी है, फिर भी है प्यास
प्यासी है बूँद या बस ये है मेरी तलाश
अगर सब कुछ मै हूँ, और मेरी है बात
फिर क्यो वो व्याकुल है फिसलने को आज