वक़्त – समय, या कंहू दरिया
बहता जहाँ है जीवन…
बहता कभी अपनी दिशा में
और भटकता भी कभी
हर भंवर में डूबने की
चाह भी जाती नहीं
कुछ तो मोती भी मिले थे
जब हाँथ में पाया था कुछ
बह गये सब सीप, मोती
बस रेत के है कुछ निशान…
वक़्त – समय, या कंहू दरिया
बहता जहाँ है जीवन…
बहता कभी अपनी दिशा में
और भटकता भी कभी
हर भंवर में डूबने की
चाह भी जाती नहीं
कुछ तो मोती भी मिले थे
जब हाँथ में पाया था कुछ
बह गये सब सीप, मोती
बस रेत के है कुछ निशान…