तन्हा-तन्हा इस दुनिया मे मन ये मेरा घुमे
हर दिन, हर पल, हर मौसम मे, तुझको ही ये ढूँढे
किसी फूल की तुम खुशबू मे, मिल जाओगे शायद
बस इसी आस मे मन ये मेरा तन्हा-तन्हा घुमे
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Monthly Archives: September 1995
जन्मो के पार
ये चाँद तो बादलो के पार है
ये चाँदनी फिर भी क्यूँ बेकरार है
वो मोरा चाँद तो जन्मो के पार है
फिर भी किसी कोने से दिल मे, मेरे
तेरी आती पुकार है
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