कभी वो चित्र आँखो के सामने फिर से प्रकट होता
वो चित्र जिसे कई बार मन की दीवारो पर अपनी आशाओ के
रंगो से बनाया था, कभी अकेले और कभी किसी के साथ मिल कर
Continue reading वास्तविक्ता
कभी वो चित्र आँखो के सामने फिर से प्रकट होता
वो चित्र जिसे कई बार मन की दीवारो पर अपनी आशाओ के
रंगो से बनाया था, कभी अकेले और कभी किसी के साथ मिल कर
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