एक ऐसे लम्हे की तलाश, जिसमें खुद को पाऊ
या ऐसे ही गुजरते लम्हों में, खुद को खोता जाऊ
कुछ लम्हे हांथो से बीन-बीन, रखे मिट्टी के बर्तन में
एक कोशिश उनको थामने की, ये सोच ही रहा था कि
कुछ बीत गये झगमग करते, और कुछ धुंधले से थमे हुए
जाने दू उनको भी मैं गुजर, या थाम के कोई जतन करू